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Rajasthan assembly elections 2023: कौन हैं रविंद्र सिंह भाटी, जिनके साथ चल रहे युवाओं के हुजूम ने बढ़ाई भाजपा और कांग्रेस की चिंता

राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले कई दिलचस्प वाकये देखने को मिल रहे हैं। कुछ रोज पहले एक युवा नेता भाजपा का दामन थामता है, लेकिन पार्टी की ओर से टिकट नहीं दिए जाने पर वह नौ दिन में ही बगावत कर बैठता है। फिर बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर जाता है। युवा नेता के साथ चल रही हजारों युवाओं की भीड़ ने कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है।

वायरल वीडियो से चर्चा में रविंद्र सिंह भाटी 

महज नौ दिन में ही भाजपा से बगावत करने वाले युवा नेता रविंद्र सिंह भाटी का एक 3 मिनट 49 सेकंड का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में रविंद्र हुंकार भरते नजर आ रहे हैं। वह कहते सुनाई पड़ते हैं- ”लड़ाका लडाई जरूर लड़ेगा… मजबूती के साथ लड़ेगा। शिव के विकास के लिए, उन्नति और प्रगति के लिए लड़ेगा। यहां की मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ेगा। बुजुर्गों की उम्‍मीदों और युवाओं के रोजगार दिलाने लिए लड़ेगा और जीतेगा… अगर ठहर गया …. तो क्या जवाब दूंगा…।”

इस वायरल वीडियो के बाद ज्यादातर लोगों के मन में सवाल आ रहा है कि आखिर रविंद्र सिंह भाटी कौन हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि कांग्रेस और भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने वाले युवा नेता रविंद्र सिंह भाटी कौन हैं …

रवींद्र सिंह भाटी राजस्‍थान के बाडमेर जिले के एक गांव दुधौड़ा से आते हैं। दुधौड़ा गांव भारत-पाकिस्‍तान बॉर्डर से सटे शिव विधानसभा क्षेत्र में है। राजस्थानी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएट रविंद्र सिंह भाटी छात्र नेता रह चुके हैं। वह साल 2019 में जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी में निर्दलीय चुनाव लड़कर छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे।

तीन साल से कर रहे हैं चुनाव लड़ने की तैयारी

इस साल होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव से वह मुख्यधारा की राजनीति में कदम रख रहे हैं। पिछले तीन साल से शिव विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तैयारी में जुटे थे। हालांकि, पहले रविंद्र भाजपा के टिकट से चुनावी मैदान में उतरना चाहते थे, लेकिन जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वह बगावत कर बैठे और अब निर्दलीय चुनावी जंग में कूद पड़े हैं।

बता दें कि रविंद्र सिंह भाटी 26 अक्टूबर को जयपुर में भाजपा प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में पार्टी में शामिल हुए थे। इसके बाद से यह माना जा रहा था कि शिव विधानसभा से रविंद्र को टिकट मिलना तय है।

हालांकि, 3 नवंबर की सुबह भाजपा ने शिव विधानसभा सीट से स्वरूप सिंह खारा को मैदान में उतार दिया। इसके बाद रविंद्र सिंह भाटी बगावत कर बैठे।

रविंद्र सिंह भाटी क्या दोहराएंगे इतिहास?

 पार्टी की ओर से टिकट न देने पर रवींद्र सिंह भाटी के निर्दलीय चुनावी मैदान में कूदने का यह वाकया पहली बार का नहीं है। इससे पहले वह साल 2019 में जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से एबीवीपी (ABVP) से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिला।

इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। आंदोलन और आक्रामक रवैया रखने वाले भाटी अब यूथ के बीच खासा पॉपुलर नाम हैं।

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